Swarnagarh : The Biggest Mystery ♦1♦

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बड़े महल्लों में खोए वो राज़,
रखे हैं शैल कितने रहस्यों को साज,
तृष्णा भी जहा मोह में पिघल जाए,
यादों की पहेलियां खुद में ही मिल जाएं।

संस्कृति पुरानी जहां खोती सी जा रही हो,
जिस जगह परछाइयों की भी आवाज़ें आ रही हों,
भारतवंश का बिखरा राज्य को टूट चुका है
उस राज्य के खंडारों में आज समय भी रुक चुका है।

पुराने कमरे जहा अपनी ही कहानी गढ़ते हों,
लापता निशानियां मोह के कितने मंत्र पढ़ते हों,
मजाकिया लगाने वाले किस्से आखिर कितने सच होंगे,
इतिहास में गुमशुदा, इस राज्य के कितने रहस्यों होंगे?

मनमोहक दृश्य, अनदेखी दास्ताएं, और ना जाने कितने सपने दफन होंगे,
कितने लोगो लिए थे आखरी सांस वहा, क्या उतने वहा कफन होंगे,
साहस और प्यार, कितने लोगो से छीना गया होगा,
उस काल के दुपट्टे पर कितने लोगो की मौत को बिना गया होगा।

अंतराल के ओढ़ने से, उनकी आवाज़ें कब जागेगी,
अपने खोए अस्तित्व को शान से फिर साधेंगी,
शांति को पाएंगे अवधि के सारे पार्थ,
अपने खोए वैभव को वापस मांग शीतल जीवन करेंगे सार्थ।

पाएंगे झलकियां बर्बाद हुवे उस राज्य की,
उस चीख, पुकार उस राज़ की,
उस राज्य के खंडरों में जहा मुस्काने कभी झलकती थी,
उसी आंगन में कभी बदले की आग भी जलती थी।

..

काले राज़ आखिर दुनिया से कब तक छुपने वाले थे,
इंसाफ तो घायल उन लोगों को भी पाने थे,
हर किसी की आंखों से दूर कोई अभी भी अनल में तिल तिल कर जलता है,
गुमनाम इस रहस्य में …..शायद कोई काला जादू पलटा है।

थामेंगी सबकी सांसें, जब कोई इस रहस्य को सुलझाने आएगा,
पुराने काल को दमड़ी से उठा उजाले में सुलझाएगा,
काले जादू का तोड़ किसी के पास जरूर होगा,
कभी न कभी इस राज़ से भी परदा दूर होगा।

पुनर जन्म की कथा संसार देखता रह जायेगा,
इस रहस्य को उजागर कर दोषी को पकड़ा जाएगा,
स्वर्णगढ़ के अनसुलझी पहेली की आंखों की पट्टी हटानी है,
जादू के पकड़ से राज्य पर से हमे छुड़ानी है, ये कथा हमें ही तो मिलकर सुननी है।

--Shree S.

Swarnagarh Samhita : The poetic collection from Swarnagarh Where stories live. Discover now